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लेखनी प्रतियोगिता -18-Dec-2023 "मानव धर्म"

'मानव धर्म'

धर्म मानव का है सबसे पहले,

ख़ुद का करे संगठित जीवन पहले।

ख़ुद तपेगा जब कुंदन सा,

तभी तो चमका पयेगा जीवन दूजे का।।


मानव धर्म यहीं सिखलाता,

तुझको कर्तव्य पहले गढना है।

होकर मर्यादित आगे बढ़ कर,

तभी समाज का उत्थान संभव होना है।।


पथ प्रदर्शक खुद का बनना,

तभी राह दिखलाना दूजे को संभव है।

तू जो भटका राह अंधेरी अपनी से,

तो दूजे का कल्याण भला कैसे संभव है।।


 द्धण निश्चय से खुद को संकलित करना,

मोह के ना जाल में जीवन खाक करना है।

जीवन तभी समर्पित होगा दूसरों पे,

मानव धर्म यहीं हम सबको सिखलाता है।।


जब खुद से तुम प्रेम करोगे,

तब मानव जीवन की उपलब्धि समझ सकोगे।

झलक रहा है दर्द कहां और किसी चेहरे पे,

तब संसार का दर्द मिटाने का जज्बा उत्पन्न कर पाओगें

मधु गुप्ता "अपराजिता"










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6 Comments

खूबसूरत भाव

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Rupesh Kumar

19-Dec-2023 09:10 PM

V nice

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Gunjan Kamal

19-Dec-2023 07:50 PM

👌👏

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